kavita - कचरा कचरे में मिल जाता है
कचरा कचरे में मिल जाता है
सफर का एक मुसाफिर आगे बढ़ जायेगा
दूसरा अपने शहर में घरवालों से मिल जायेगा
सोना जो ज़मी से निकला है, कुंदन हो जायेगा
जो कचरा था कचरे में मिल जायेगा
नदी जो सुदूर की चोटी से निकली है ,सागर बन जायेगी
सागर में नदी कहा गई ये, ढूंढने वाले की नज़र कभी नही खोज पाएगी
ये जो आग जल रही है जमाने में बुझ जायेगी
आग बूझकर कहा गई ये देखने वाले की नज़र नही समझ पाएगी
मेरी बाते पड़ने सुनने वालो के सिर से निकल जायेगी
सिर से निकल कर कहा गई ये बात मुझे भी समझ नही आयेगी
दूसरा अपने शहर में घरवालों से मिल जायेगा
सोना जो ज़मी से निकला है, कुंदन हो जायेगा
जो कचरा था कचरे में मिल जायेगा
नदी जो सुदूर की चोटी से निकली है ,सागर बन जायेगी
सागर में नदी कहा गई ये, ढूंढने वाले की नज़र कभी नही खोज पाएगी
ये जो आग जल रही है जमाने में बुझ जायेगी
आग बूझकर कहा गई ये देखने वाले की नज़र नही समझ पाएगी
मेरी बाते पड़ने सुनने वालो के सिर से निकल जायेगी
सिर से निकल कर कहा गई ये बात मुझे भी समझ नही आयेगी
........ संयम जैन तारण 😌
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