kavita - परिवर्तन

आज और कल में अंतर होता है
क्योंकि हर वक्त परिवर्तन होता है

कल जिसने तुमसे हंसकर बोला था

आज उसी ने तुम्हें देख कर मुंह मोड़ा था

कल जो तुम्हें देख कर चिढ़ जाते थे

आज वही तुम्हें देख कर खिल जाते हैं

 

परिवर्तन तो प्रकृति का हैं नियम 

अब तुमको भी बदलना हे संयम

झरने का गिरना है कुछ समय का आयाम

इससे कहीं अधिक है प्रकृति परिवर्तन का व्यायाम

 

परिवर्तन कितना हो गया

जितना नहीं सोचा उतना हो गया

मैं परिवर्तित नहीं हो पाया

जितना था उतना रह गया

 

मुसाफिर परिवर्तन के साथ तो चलना

पर दिन ढलने पर तुम मत ढलना

पा लोगे परिवर्तन के के साथ अपनी मंजिल

सूरज ना निकले पर तुम सदैव निकालना


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