kavita - आखरी पत्ता

 आखरी पत्ता

सृजन के काल में 

सृजन हुआ है 

स्व समय पा एक बीज अंकुरित हुआ हैं 

उसके विकास के मार्ग में 

पौधा और पेड़ जैसे अवस्था बनी है

इसका संसार बहुत खिला है

पशुओं ने आराम किया है 

तो पक्षियों ने बसेरा किया है

प्रकृति के हर मौसम को सहा है 

और बसंत आने से पहले की ये घटना हैं 

या यूं कहो सुखी होने से पूर्व दुख के क्षण है 

नियति का वीरान होने का काल है 

उड़े गए परिंदे जिनसे मैं वाकिफ था 

और छोड़ गए साथ मेरे अपने पत्ते 

और अब मेरे पास एक आखिरी पत्ता है 

जर्जर सा 

मृत्यु के कारीब 

आखिरी सांसे गिनता .....

और उजड़ा हुआ मैं

...✍🏻संयम जैन तारण


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