kavita - एकाकी यात्रा

एकाकी यात्रा

मेरी यात्रा एकाकी है 

अत्यन्त एकाकी

क्योंकि

मैं एकाकी

मैं जिस पथ पर हूं 

वह एकाकी

छोटी-छोटी दूरियों के

हमसफर भी एकाकी

अन्त तक चलने वाली

नियति भी एकाकी

नदियाँ पर्वत पठार एकाकी 

मुझे आनन्द देने वाली हवाएँ एकाकी,

हम साथ-साथ रहते है 

लेकिन होने वाले एहसास एकाकी 

मेरा प्रेम एकाकी

मेरा मोह एकाकी

मेरी नफरत एकाकी

माँ की गोद मे रहा 

लेकिन एकाकी 

प्रेमिका की बाहो मे रहा

लेकिन एकाकी 

गुरु की शरण मे रहा

लेकिन एकाकी

तुम्हारी वासना मेरे लिए

मेरी वासना तुम्हारे लिए

वह भी एकाकी

एक दूसरे के लिए हमारी आसवित 

वह भी एकाकी

अकेलेपन को भरने का भाव

वह भी एकाकी 

संयम तुमने कुछ लिखा 

वह भी एकाकी

.....✍🏻 संयम जैन तारण


टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट