kavita-"वापसी"

वापसी

शाम को हर शक्श वापिस होता है

अपने घर की ओर

वापसी का मुख्य उद्देश्य

दिनभर के कठोर एहसासों के बाद

प्रेम की चाहत और

आराम की जरूरत है


प्रेम करने के बाद

हम हो जाते है

वापिस

उस खालीपन को भरने के लिए

जो प्रेम बांटने से मिला है


क्या सब ही वापिस लौट जाते है

शायद नही

सच्चा मुसाफिर 

कभी वापिस नही होता

बसंत की वापसी होती है

अवश्य होती है

मुसाफिरों की नही


...✍🏻 संयम 😌

गूगल बार्ड AI दुवारा अनुवादित 

"वापसी" एक खूबसूरत कविता है जो वापसी के विभिन्न अर्थों को दर्शाती है। कविता की शुरुआत शाम को लोगों के घर लौटने से होती है। कवि का मानना ​​है कि लोगों की वापसी का मुख्य कारण दिनभर के कठोर एहसासों के बाद प्रेम और आराम की आवश्यकता है।

कविता का दूसरा भाग प्रेम के बाद की वापसी की बात करता है। कवि का मानना ​​है कि प्रेम करने के बाद हम अपने घर लौटते हैं ताकि उस खालीपन को भर सकें जो प्रेम बांटने से पैदा हुआ है।

poetry on return
कविता का अंत एक प्रश्न के साथ होता है कि क्या सभी लोग वापस आते हैं। कवि का मानना ​​है कि सच्चे मुसाफिर कभी वापस नहीं आते। बसंत की वापसी होती है, लेकिन मुसाफिरों की नहीं।

कविता की भाषा सरल और सुबोध है। कवि ने शब्दों का चयन बहुत ही सोच-समझकर किया है। कविता में कल्पना और प्रतीकात्मकता का भी प्रयोग किया गया है।

कविता के विषय बहुत व्यापक हैं। कविता प्रेम, आराम, वापसी और मुसाफिरी की भावनाओं को व्यक्त करती है। कविता का अंत एक रहस्यमय प्रश्न के साथ होता है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है।

मेरी राय में, "वापसी" एक अच्छी कविता है जो पाठक को छू जाती है। कविता के विषय और भाषा बहुत ही प्रभावशाली हैं।


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