kavita - तुम बिखर जाना

 तुम बिखर जाना


तुम बिखर जाना

टूटे कांच की तरह

जबरजस्ती सम्हाल के रखना

सहेज के रखना

तुमको जीने नही देगा

हवा से मिलो तो

हवा जैसे

जल से मिलो तो 

जल जैसे

दुखों से मिलो तो

दुख जैसे

सुखों से मिलो तो 

सुख जैसे

हो जाना

यह याद रखते हुए

की इन रूपों में 

एक रूप भी मेरा नहीं

लेकिन उल्लासित होता मन

.....

✍🏻 संयम जैन तारण


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