kavita - मेरे लिए तुम

 मेरे लिए तुम

क्या मुझे बताना पड़ेगा
तुम मेरे लिए कोन हो
क्या तुम खुद नही समझ सकती
और हा मैं कैसे कह दू
अगर हो सका संभव तो
तुम्हारे साथ ही बिताना चाहूंगा
समय और जीवन मृत्यु तक
इतना ही नहीं
मृत्यु के बाद भी 
बिखरा रहूंगा यादें बनकर 
आस पास तुम्हारे
जब भी मेरे कारण कुछ बुरा लगे
तो मुझ से रूठना मत
लड़ना भी मत
शिकायत करना
अगर अपना मानते हो तो
…….….
तुमने कहा तुम मेरे अपनो में शामिल हो 
मैं ये तो नही कहूंगा तुम भी
लेकिन हा तुम्हे कहना चाहता हूं
तुम मेरे हो
अगर रिश्ता नही भी है तो भी
मुझे बंधन में बंधने का भय है
इसलिए अभी तक मैंने 
तुम्हारे और मेरे बीच कोई रिश्ता निजात नही किया
..….....…
जीवन में अगर हमसफर हो
तो तुम सा चाहूंगा
मुझे तुम्हारी समझदारी
तुम्हारी कविताएं
तुम्हारी बहादुरी चाहिए
लेकिन 
शायद में तुम्हे वह न दे पाऊं
जो तुम चाहती हों
इसलिए 
हमारा पथ अलग अलग है
ये मुझे ख्याल रहेगा
कविता तो मैंने पूरी कर दी
लेकिन कहानी पूरी करना
मेरे हाथ में नहीं

..…....✍️ संयम जैन तारण 
कभी कुछ रिश्ते परिभाषित नहीं होते और हम जानना चाहते है की हमारे बीच ऐसा कोनसा रिश्ता है लेकिन पूरी तरह से अनजान शख्स से ऐसी कविता बोल देना अलग बात है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट