kavita- "जरूरी था"
"जरूरी था"
तुमसे मिलना भी जरूरी था
मिलकर बिछड़ना भी जरूरी था
मिलकर तुम्हारे साथ खिलखिलाना जरूरी था
बिछड़ते समय आंसू बहाना भी जरूरी भी था
उदासी मिटाने महफिल में जाना भी जरूरी था
भरी महफिल में एक दूसरे में खोए रहना भी जरूरी था
अचानक किसी मोड़ पर मिलना जरूरी था
और खुशी खुशी एक दूसरे को विदा करना भी जरूरी था
....✍🏻 संयम जैन तारण
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